March 11, 2025

जसपुर नगर पालिका पूर्व चेयरमैन प्रत्यार्शी वसीम सिद्दीकी की क्षेत्रवासियों को रमज़ान की मुबारकबाद

रमज़ान: इबादत, रहमत और बरकत का महीना:वसीम सिद्दीकी

आरिफ खान की रिपोर्ट

जसपुर नगर पालिका चेयरमैन पद पर (बसपा) से पूर्व प्रत्याशी वसीम सिद्दीकी ने क्षेत्र की जनता को रमज़ान की दिली मुबारकबाद दी। उन्होंने कहा कि यह पाक महीना अल्लाह की इबादत, तौबा और गुनाहों की माफी मांगने का वक्त होता है। उन्होंने सभी मुस्लिम भाइयों से अपील की कि वे 30 दिनों तक रोज़ा रखें, जकात अदा करें, फितरा दें और अधिक से अधिक इबादत करें।

रमज़ान: इस्लाम का सबसे मुकद्दस महीना
रमज़ान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना होता है, जिसे पूरी दुनिया के मुस्लिम रोज़े, इबादत और नेकी के कामों के लिए खास मानते हैं। इसे अल्लाह की रहमत, मग़फिरत (माफी) और जहन्नम से निजात पाने का महीना कहा जाता है।

रमज़ान कैसे शुरू होता है?
रमज़ान की शुरुआत इस्लामी कैलेंडर के अनुसार चांद दिखने पर होती है। जैसे ही रमज़ान का चांद नजर आता है, मुस्लिम समुदाय पूरे महीने के लिए रोज़ा रखने की तैयारी कर लेता है।

रोज़े कितने दिन के होते हैं?
रमज़ान का महीना 29 या 30 दिनों का होता है, जो चांद के हिसाब से तय होता है। हर दिन सूरज निकलने से पहले सेहरी (सहरी) की जाती है और सूरज डूबने के बाद इफ्तार के साथ रोज़ा खोला जाता है।

रमज़ान में क्या-क्या होता है?
रोज़ा: सुबह फजर से लेकर शाम मगरीब तक बिना कुछ खाए-पिए अल्लाह के लिए रोज रखा जाता है।
तरावीह नमाज: रमज़ान में रात को विशेष नमाज पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहा जाता है।
जकात और फितरा: गरीबों और जरूरतमंदों को दान दिया जाता है, जिससे उनकी मदद हो सके।
तिलावत-ए-कुरान: इस महीने में अधिक से अधिक कुरान शरीफ पढ़ा जाता है
लैलतुल कद्र: रमज़ान के आखिरी अशरे में एक रात आती है, जिसे हज़ार महीनों से भी बेहतर माना जाता है।
रमज़ान का महत्व
रमज़ान न केवल तज़किया
(आत्मशुद्धि)का महीना है, बल्कि यह एकता, भाईचारे और गरीबों की मदद करने का भी अवसर है। इस महीने में मुसलमान अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं और नेक कामों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।