May 1, 2025

पुलिस आईजी रिधिम अग्रवाल – एक नाम, जो नशे के खिलाफ बन रही है उम्मीद की मिसाल!

कुंडा के “जीवन दान नशा मुक्ति केंद्र” पर आईजी कुमाऊं रिधिम अग्रवाल की बड़ी कार्रवाई – खुली व्यवस्थाओं की पोल, मरीजों के हालात देख कांप उठे दिल!

आरिफ खान की रिपोर्ट

काशीपुर, 29 अप्रैल 2025 – देर शाम जब आम लोग अपने घरों को लौट रहे थे, उस वक्त कुमाऊं की सख्त और ईमानदार छवि वाली आईजी रिधिम अग्रवाल* एक गुप्त मिशन पर थीं। थाना कुंडा क्षेत्र के बैलजूड़ी गांव स्थित “जीवन दान नशा मुक्ति केंद्र” पर आईजी ने औचक छापा मारा और वहां जो देखा, वह किसी टॉर्चर हाउस से कम नहीं था!

बिना कुक, बिना डॉक्टर, बिना सुरक्षा – और व्यवस्था की जगह अव्यवस्था का बोलबाला!
निरीक्षण में सामने आया कि केन्द्र में 12 की क्षमता की जगह 20 मरीज ठूंसे गए हैं। सोने को बिस्तर नहीं, फर्श मिला है और नहाने को गंदे बाथरूम। रसोई में न कोई कुक, न साफ-सफाई – मरीज खुद बना रहे हैं खाना और खाने की मांग पर मिलती है गालियां और धमकी!

आईजी ने की सख्त कार्रवाई – DVR और दस्तावेज कब्जे में
आईजी रिधिम अग्रवाल ने तुरंत मौके पर एसपी काशीपुर, CMS  राजीव चौहान और प्रभारी निरीक्षक कुंडा को बुलाकर जरूरी दस्तावेज, DVR, रजिस्टर, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और एडमिशन रिकॉर्ड कब्जे में ले लिए। उन्होंने साफ चेतावनी दी – “अब कोई लापरवाही नहीं चलेगी!”

डॉक्टर फर्जी, इलाज दिखावा – और मरीजों का दर्द बेहिसाब
केंद्र में इलाज के नाम पर महज BP और शुगर चेक किया जा रहा है। डॉक्टर दूसरे किसी डॉक्टर के लेटरहेड पर हस्ताक्षर कर इलाज कर रहा था। मरीजों ने बताया कि उन्हें परिवार वालों ने जबरन भर्ती कराया, और यहां किसी तरह की काउंसलिंग या मेडिकल सुविधा मौजूद नहीं।

“यह सुधार का केंद्र नहीं, बल्कि एक बंद टॉर्चर हाउस है” – आईजी रिधिम अग्रवाल
1.5 घंटे तक चली इस औचक रेड के दौरान आईजी ने खुद मरीजों से बात की। कुछ ने बताया कि उन्हें लीवर, किडनी और फेफड़ों की गंभीर समस्याएं हैं लेकिन केंद्र में इलाज का नामोनिशान नहीं। यह सुनकर आईजी खुद भी स्तब्ध रह गईं।

15 दिन में सभी नशा मुक्ति केंद्रों की जांच के सख्त निर्देश – जिम्मेदारों पर गिरेगी गाज!
आईजी ने पूरे कुमाऊं मंडल के थाना-चौकी प्रभारियों को निर्देश दिया कि 15 दिनों में सभी नशा मुक्ति केंद्रों की जांच पूरी करें। लापरवाही बरतने वालों पर सीधी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

अधिकतर अधिकारी फाइलों में उलझे रहते हैं, वहीं रिधिम अग्रवाल जैसे अफसर अपने पैरों से ज़मीन नापते हैं और जनता की पीड़ा को महसूस करते हैं। उनकी यह सख्त कार्रवाई पूरे उत्तराखंड में एक सशक्त संदेश है – अब नशा मुक्ति केन्द्रो के नाम पर चल रही लूट और लापरवाही नहीं ।