आरिफ खान की रिपोर्ट
काशीपुर नगर निगम के वार्ड नंबर 21 की राजनीतिक गर्मी इन दिनों चरम पर है। यहां के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पार्षद प्रत्याशी को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। जहां राज्य और केंद्र में BJP की सरकार का दबदबा कायम है, वहीं इस वार्ड में वोटरों का रुख कुछ अलग ही कहानी बयान कर रहा है।
कमल के फूल से दूरी बनाए हुए वोटर
इस वार्ड में स्थानीय वोटर BJP प्रत्याशी को समर्थन देने के बजाय नकारात्मक रुख अपनाए हुए हैं। मुस्लिम समुदाय के अधिकांश मतदाता BJP के चुनाव चिह्न ‘कमल’ को लेकर अनमने से नजर आ रहे हैं। क्षेत्र में न सिर्फ प्रत्याशी के प्रचार-प्रसार को ठंडी प्रतिक्रिया मिल रही है, बल्कि कोई बड़ा चेहरा भी खुलकर समर्थन करता नहीं दिख रहा।
वोटरों का कहना है कि वार्ड 21 में BJP प्रत्याशी के प्रति उदासीनता का कारण स्थानीय स्तर पर विकास कार्यों की कमी और जनहित से जुड़े मुद्दों का न सुलझना है। लोग इस बात से भी नाराज हैं कि राज्य और केंद्र सरकार ने उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया।
प्रत्याशी की चुनौती
BJP के पार्षद प्रत्याशी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है समुदाय के भरोसे को जीतना। अब देखना होगा कि अंतिम समय में BJP अपनी रणनीति में क्या बदलाव करती है और क्या वे इस विरोध को समर्थन में बदलने में कामयाब होंगे या नहीं।
राजनीतिक पंडितों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में BJP के लिए राह आसान नहीं है। यदि पार्टी यहां अपनी स्थिति सुधारने में सफल नहीं होती है, तो यह वार्ड पार्टी के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
काशीपुर नगर निगम चुनाव में वार्ड नंबर 21 के परिणाम आने वाले समय में बड़े राजनीतिक संदेश दे सकते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनौतीपूर्ण माहौल में BJP किस तरह से अपने समीकरण सुधारने की कोशिश करती है।
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