
देहरादून :(आरिफ खान की रिपोर्ट) उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी में बड़ी हलचल के संकेत एक बार फिर साफ दिखाई दिए। विगत दिनों देहरादून में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर बुलाई गई बैठक में जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा एक मंच पर एक साथ दिखाई दिए, वहीं दूसरी ओर पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और उनके समर्थकों ने इस कार्यक्रम से दूरी बनाकर साफ जाहिर कर दिया की तलवारे अभी म्यान में नहीं रखी गई है। बैठक के ठीक दिन प्रीतम सिंह अपने समर्थक विधायको आदेश चौहान और विक्रम सिंह नेगी आदि के साथ दिल्ली में दिखाई दिए । जबकि पूर्व प्रस्तावित बैठक का एजेंडा पीसीसी के द्वारा पहले ही जारी कर दिया गया था। बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, करन माहरा, यशपाल आर्य, गणेश गोदियाल और प्रदीप टम्टा की केमिस्ट्री दिखाई दी, उससे जाहिर होता है कि प्रीतम सिंह अपनी लड़ाई में अब अकेले पड़ते दिखाई दे रहे हैं। जिस तरह से पीसीसी सदस्य, जिला/ महानगर और ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति मे प्रीतम सिंह समर्थकों को साइडलाइन किया गया, उससे स्पष्ट है कि आने वाले समय में उत्तराखंड कांग्रेस एक नए भूचाल की खामोश तैयारी के साथ बैठी है। संभवत 2023 निकाय चुनाव से पूर्व यह भूचाल कोई नया रंग ना खिला दे, विगत दिनों जिस प्रकार से अपने राजनीतिक गुरु रंजीत रावत के द्वारा बनाई गई दूरी के कारण, करन माहरा अपने आप को अकेला पा रहे थे, ऐसे में हरीश रावत, यशपाल आर्य, गणेश गोदियाल, प्रदीप टम्टा का साथ उनके लिए संजीवनी साबित हो सकते है, क्योंकि रंजीत रावत ने जिस तरह से करन माहरा की कार्यपद्धति को लेकर धीरे-धीरे दूरी बनाई, उससे करन माहरा के लिए नए राजनीतिक संरक्षण को अपने साथ जोड़ना जरूरी था। ऐसे में प्रीतम सिंह से लड़ाई में हरीश रावत, यशपाल आर्य, गणेश गोदियाल, प्रदीप टम्टा उनकी ढाल बनकर आगे आएंगे। अब देखने वाली बात होगी उत्तराखंड मे कॉग्रेस एकजुट कब तक हो पाती है यह आने वाला समय ही बताएगा हालांकि कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता कांग्रेस के एकजुट होने के दावे कर रहे हैं

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