आरिफ खान की रिपोर्ट
देहरादून :देश के चार राज्यों में चुनाव की तैयारी कर रही कांग्रेस को उत्तराखंड में टकराव जैसे हालात का सामना करना पड़ रहा है। यहां प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा की ओर से प्रदेश कार्यकारिणी में की गई नियुक्तियों को पार्टी की नेता कुमारी शैलजा ने रद्द कर दिया है। शैलजा उत्तराखंड में कांग्रेस की प्रभारी हैं। उन्होंने एक पत्र जारी कर कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि उत्तराखंड में कांग्रेस संगठन में कुछ अस्थायी नियुक्तियां की गई हैं। जिन नियुक्तियों की अनुमति अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के परमिशन के बिना की गई है, उन्हें तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाता है। जाहिर है, कुमारी शैलजा ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा को बड़ा झटका दिया है।
उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के अंदर मचे असंतोष और घमासान को थामने के लिए दिल्ली में पार्टी राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा की उपस्थिति में संपन्न हुई बैठक में जिस प्रकार से विधायकों ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कार्य प्रणाली पर आक्रोश व्यक्त किया, उसके नतीजे अब सामने आने आरंभ हो गए हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं उत्तराखंड प्रभारी कुमारी शैलजा ने विगत दिनों प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के द्वारा की गई नियुक्तियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए उनको निरस्त घोषित कर दिया। जिससे उत्तराखंड कांग्रेस में एक बार फिर बदलाव की सुखबाहट आरंभ हो गई है, छोटे-मोटे कार्यकर्ताओं ने अपने राजनीतिक आकाओं के नाम हवाओं में उछलने आरंभ कर दिए हैं। ज्ञात रहे कि विगत दिनों दिल्ली में उत्तराखंड कांग्रेस की प्रभारी कुमारी शैलजा ने उत्तराखंड के विधायकों की बैठक आहूत की थी,जिसमें विधायकों ने कांग्रेस संगठन की कार्यप्राणी पर जमकर प्रहार करते हुए अपना गुब्बार प्रभारी के सामने निकला था, बद्रीनाथ विधानसभा के नवनिर्वाचित विधायक लखपत बुटेला ने अपने चुनाव में संगठन के द्वारा सहयोग न दिए जाने का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी थी, वही किच्छा के विधायक तिलकराज बेहड ने जनपद उधमसिंह नगर के महानगर अध्यक्षों और जिलाध्यक्ष पर गुस्सा निकालते हुए उन पर प्रशासन से मिली भगत का आरोप लगाया था। कई विधायकों ने प्रदेश अध्यक्ष के ऊपर व्यापारी टाइप के लोगों के दबाव में कार्य करने का आरोप लगाकर संगठन में मनमानी नियुक्ति करने का गुस्सा निकाला, पार्टी विधायक और कई विधानसभा प्रत्याशियों ने प्रदेश अध्यक्ष की कार्यप्राणी पर उंगली उठाते हुए कहा कि उनकी विधानसभा में की गई नियुक्तियों के लिए उनको विश्वास में नहीं लिया गया। ऐसे में आगामी निकाय, पंचायत और सहकारिता के चुनावो को ध्यान में रखते हुए कुछ नियुक्ति करन माहरा द्वारा की गई थी जो प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा ने रद्द कर दिया है।
ऐसे में जहां कांग्रेस उत्तराखण्ड में भाजपा संगठन से पहले ही काफी पिछड़ी नजर आती थी, अब प्रदेश अध्यक्ष की कार्यप्रणाली पर पार्टी के विधायकों द्वारा उंगली उठाने के नए कयास लगने आरंभ हो गए हैं । छूट भैया टाइप के नेताओ ने अपने नेताओं की गणेश परिक्रमा करनी आरंभ कर दी,ताकि भविष्य में होने वाले किसी भी संभावित परिवर्तन के लिए अगर उनके आकाओं का नंबर आता है, तो उनकी भी लॉटरी खुल जाए। अंदरूनी सूत्रों की माने तो वर्तमान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कार्य प्रणाली से कांग्रेस हाईकमान संतुष्ट नहीं है । आगामी 2027 विधानसभा के चुनाव की तैयारी के लिए अगर कांग्रेस हाईकमान उत्तराखंड में संगठनात्मक दृष्टिकोण से कोई बड़ा निर्णय ले तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी
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