November 23, 2024

Uttarakhand Ki Sachchai

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कांग्रेस नेताओं ने खाई कसम पार्टी को डूबा कर ही मानेंगे?

लुटती मोहब्बत की दुकान!

आरिफ खान की रिपोर्ट

हम तो डूबेंगे सनम लेकर तुमको भी साथ लेकर डूबेंगे तेरी उजली कमीज भला मेरी कमीज से सफेद हो कैसे सकती है, ऐसा ही कुछ इतनी हर के बाद भी उत्तराखंड कांग्रेस मैं लगातार देखने को मिल रहा है

चुनाव दर चुनाव उत्तराखंड में कांग्रेस लगातार हार का स्वाद चख रही है, इसके बावजूद भी कांग्रेस नेताओं ने कुछ सबक सिखा हो यह लगता नहीं,भाजपा एक चुनाव के बाद दूसरे चुनाव की तैयारी में जुट जाती है बीजेपी में चुनाव किसी भी स्तर का हो इसके लिए तैयारी पार्टी लेवल पर पूरी शिद्दत के साथ की जाती है,पदाधिकारियो सहित सभी नेताओं को मैदान में उतरा जाता है जिससे कोई भी कसर चुनाव जीतने में रह न जाए जिसका नतीजा सबके सामने है बीजेपी हर चुनाव में जीत दर्ज करती चली आ रही है कम से कम उत्तराखंड में तो यही देखने को मिल रहा है मगर विपक्षी पार्टी कांग्रेस इससे बहुत पीछे छूट जाती है मगर इसे क्या कहें आपसी खिचतान या कुछ और जो भी हो काग्रेसी नेता अपने चक्कर में कांग्रेस को अंधेरे कुएं मे धकेलेने में कोई कसर छोड़ नहीं रहे

लगातार हार रही कांग्रेस के सामने अब लोकसभा के बाद दो सीट पर विधानसभा के उपचुनाव है और चुनावी विशेषज्ञ मानते हैं कि कांग्रेस सुधारने का नाम नहीं ले रही अभी वही ढाक के तीन पात वाली कहावत प्रतीक होते दिखाई दे रही है,लोकसभा चुनाव के बाद उत्तराखण्ड मे दो सीटो पर उपचुनाव हो रहे है,

चमोली जिले की बद्रीनाथ सीट और हरिद्वार जिले की मंगलौर विधानसभा सीट इन चुनाव में बीजेपी कांग्रेस से बहुत आगे है पहले प्रत्याशी घोषित करना हो या अन्य तैयारियां कांग्रेस हर तैयारी में बीजेपी से पिछड़ती रही है ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस अपनी हारों से कुछ सीखने को तैयार नहीं है, कांग्रेस नेताओं का रवैया कांग्रेस को डुबोने में लगा है,मतलब ऐसा लग रहा है जैसे कांग्रेस के कुछ नेताओं ने कसम खाई है कि वह पार्टी का बंटाधार करके ही मानेंगे,

बद्रीनाथ मंगलौर में चल रहे उपचुनाव को जिताने की सबसे पहले जिम्मेदारी पार्टी की तरफ से प्रभारी की होती है,लेकिन पार्टी प्रभारी का “उत्तराखंड में आगमन अभी हुआ नही,
उत्तराखंड कांग्रेस बद्रीनाथ और मंगलौर उपचुनाव को लोकसभा चुनाव में हर का हिसाब बराबर करने का मौका तो मान रही है
लेकिन पार्टी प्रभारी कुमारी शैलजा के रुख ने कांग्रेसियों की चिंता बढ़ा दी है उपचुनाव के लिए भी कांग्रेस प्रभारी समय नहीं निकल पा रही चुनाव की घोषणा होने के बाद से एक बार भी उत्तराखंड नहीं आ सकी। एक तरफ जहां भाजपा के प्रदेश प्रभारी से लेकर अन्य दिग्गज बारी-बारी चुनाव प्रचार को धार दे रहे हैं, कांग्रेस प्रभारी रण में उतरने की बजाय वर्चुअल माध्यम से रणनीति बना रही है

आलम यह है पार्टी की जीत के लिए उनकी ओर से कांग्रेस नेताओं को जीत के लिए पत्र भेज कर रस्म आदएगी निभा दी गई है,प्रदेश प्रभारी के रूप में कुमारी शैलजा के ऊपर कांग्रेस को मजबूत करने की जिम्मेदारी है,लेकिन लोकसभा चुनाव में वह उत्तराखंड केवल दो बार आई थी

ज्यादातर हरियाणा के सिरसा लोकसभा सीट से अपने चुनाव में व्यस्त रही उपचुनाव में चुनावी रणनीति बनाने के लिए प्रदेश प्रभारी ने उत्तराखंड आकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक कर रणनीति पर चर्चाओं नही की। उन्होंने प्रत्याशियों के पैनल पर प्रदेश के नेताओं के साथ वर्चुअल बैठक कर अपनी जिम्मेदारी को निभाया

हरियाणा के सिरसा संसदीय सीट से सांसद एवं प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा मंगलौर सीट पर चुनावी जनसभा करती तो अल्पसंख्यक अनुसूचित जाति पर समर्थन साधने में कांग्रेस को फायदा होता है, लेकिन कांग्रेस में ऐसी कोई रणनीति तो फिलहाल दूर दूर तक तो दिखाई नहीं दे रही शायद यह भी संभव हो कि प्रदेश प्रभारी अपने लिए कोई बड़ी कुर्सी हरियाणा में भी तलाश रही हो वैसे हरियाणा मे भी कुछ समय के बाद चुनाव है और लड़ाई वहा भी बड़ी कुर्सी को लेकर होनी है,तो भला उत्तराखंड के दो विधायकों की कुर्सी की परवाह क्यों हो

रही कहीं कसर उत्तराखंड के सौ कॉल्ड बड़े नेता करने में लगे हैं कांग्रेस जिस तरह उत्तराखंड में गर्त में गई है उसमें उत्तराखंड के कई बड़े नेताओं का अहम योगदान है

कांग्रेस के अंदर आपसी खिचतान इतनी है कि कांग्रेस कई गुटों में बटी हुई है,ऐसे में किसी भी चुनाव में एकजुट होकर उतरना कांग्रेस के लिए संभव नहीं है पार्टी से पहले खुद के व्यक्तिगत हितों को साधने में जुटे पार्टी के बड़े नेता पार्टी की दुर्दशा के सबसे बड़े जिम्मेदार है

2022 का विधानसभा चुनाव भी उठा कर देख ले

जब लग रहा था कांग्रेस सरकार बना लेगी इसी संभावना के चलते कांग्रेस के नेताओ की आपसी खिचतान इतनी बढ़ गई कि पार्टी फिर से चुनाव हार गई इस खिचतान का असर पार्टी के टिकट वितरण मैं भी देखने को मिला हरीश रावत और रंजीत रावत की सीटों पर इसका असर यह हुआ जिस सीट पर कांग्रेस जीत सकती थी वह सीट भी कांग्रेस हार गई याद कीजिए रंजीत रावत और हरीश रावत का साथ बीते जमाने की हिंदी फिल्म शोले के जय वीरू के जैसा ही प्रतीक होता था,

रामनगर से हरीश रावत चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन टिकट मिला रंजीत रावत को वही रंजीत रावत जो सल्ट विधानसभा से चुनाव लड़ते आए थे, रामनगर सीट पर हरीश रावत और रंजीत रावत का संघर्ष पूरे प्रदेश ने देखा,,खिचतान इतनी हुई पार्टी ने हरीश रावत और रंजीत रावत दोनों की ही सीट बदल डाली, इसका नतीजा यह हुआ दोनों की खींचतान में स्थानीय नेता संजय नेगी का भी नुकसान हो गया

जो शायद आसानी से वह जीत सकते थे कांग्रेस के लिए टिकट न मिलने पर से संजय नेगी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा 16000 से अधिक वोट ले गए बीजेपी ने 30000 कांग्रेस 26000 मत ले पाई, मतलब सीधा देखें संजय नेगी के निर्दलीय चुनाव लड़ने से कांग्रेस जीती सीट हार गई, मतलब कांग्रेस पुराने कांग्रेसी की बजाय अपने युवा टैलेंट पर भरोसा करती तो रामनगर सीट एक तरह से कांग्रेस के लिए किक वॉक हो सकती थी, बड़े नेताओं ने युवा नेता को निपटाया जिसके चक्कर में बड़े दिग्गज जी खुद ही निपट गये

अगर सही मायने में पार्टी का भला सोच होता, रंजीत रावत सल्ट,हरीश रावत,हरिद्वार संजय नेगी,रामनगर यह तीनों ही सीट कांग्रेस की झोली में होती

मगर किसी ने सच ही कहा है,हम तो डूबेंगे सनम लेकर तुमको भी साथ लेकर डूबेंगे, खैर,, लेकिन यही हाल हर विधानसभा में देखने को मिला चाहे सहसपुर आरेन्द्र शर्मा वाली सीट हो या बाकी और,,कुमाऊं और गढ़वाल में दो सीट का सिर्फ केवल उदाहरण मात्र है

ऐसी ही खींचतान कई सीटों पर देखी गई और वही हुआ 2022 में प्रीतम सिंह और हरीश रावत के खेमे में बटी हुई कांग्रेस फिर सत्ता से दूर हो गई और भाजपा को फिर सत्ता की कुर्सी थामा दी,अब एक बार फिर कुछ ऐसे ही हालात दिखाई दे रहे है,फिलहाल ऐसा प्रतीक हो रहा है,कई काँग्रेसी नेता प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी के लिए खेमे बन्दी करने मे जुटे है हालात और राजनीतिक पंडितों का इशारा,,हरीश रावत का टिहरी दौरा भी इसी ओर इशारा कर रहा है प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा इस समय बेबस नजर आ रहे हैं

करन माहरा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद आज तक वह काँग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकत करने मे सफल हो पाए या नहीं यह भी एक सवाल ही है?,, लोकसभा चुनाव के दौरान भी करन माहरा ने बड़े नेताओं के चुनाव लड़ने पर जोर दिया,जिसमे हरीश रावत,यशपाल आर्य, और प्रतीम सिंह है,तब भी पार्टी हाई कमान ने उनकी सुनी नहीं वरना तो रिजल्ट कुछ और ही हो सकते थे जबकि वह लगातार बड़े नेताओं को चुनाव लड़ने की बात कह रहे थे,लेकिन सभी बड़े नेता लास्ट समय में खुद के ही हित साधते मे नजर आए

हरक सिंह रावत को किनारे लगाने के पीछे वजह शायद अब भी रहस्य है

इस समय कांग्रेस को सब कुछ भूल कर उपचुनाव जीतने के लिए दम लगाना चाहिए
बजह ऐसा करने के सभी नेता अपना हित साधने में जुटे हुए हैं कोई प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी खिसकाकर उस पर अपना आदमी बैठने में लगा है तो किसी के पास उपचुनाव के लिए वक्त ही नहीं है ऐसा ही कुछ पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह के साथ देखने को मिल रहा है,जो लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद काफी घबराए हुए हैं,।अधिकतर समय अब वो अपनी विधानसभा के अंदर ही बिता रहे हैं

प्रीतम सिंह सब कुछ छोड़कर अपनी विधानसभा को बचाने में लगे

जिस तरह से बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पवार ने चकराता सहित पांच विधानसभा में वोट पाए हैं उसने प्रीतम सिंह की चिंता बढ़ा दी है क्योकि आने वाले विधानसभा चुनाव में ऐसे ही नतीजे आए तो कांग्रेसी ही नहीं बीजेपी की भी कहानी 5 से अधिक सीटों पर खराब होनी तय है, यही कारण है कि प्रीतम सिंह सब कुछ छोड़कर अपनी विधानसभा को बचाने में लगे हैं हालांकि लोकसभा में भी वो अपनी विधानसभा बचा नहीं पाए थे मतलब उपचुनाव का जो होगा वह देखा जाएगा मगर पहले अपनी विधानसभा बचा ले

कुल मिलाकर जिन नेताओं पर पार्टी की नैय्या पार लगाने की जिम्मेदारी है वह बस अपना घर बचाने में लगे है ऐसे मे पार्टी कितने मजबूत तरीके से भाजपा जैसी संगठित दल का मुकाबला कर पाएगी यह बड़ा सवाल है? अगर कांग्रेस के नेता इसी तरह लग रहे तो पार्टी का बंटाधार होना तय है


फिलहाल प्रदेश की दो सीटे के चुनाव नतीजे कांग्रेस के भविष्य की रूपरेखा को तय करने वाले होंगे,क्योंकि इसके बाद प्रदेश की राजनीति के साथ-साथ कांग्रेस की राजनीति के भी कई समीकरण बदलेंगे भी और बिगड़ेंगे भी और इससे बेहतर भी सबसे जरूरी बात यह है

कि पूरे देश में मोहब्बत की दुकान सजाने वाले राहुल गांधी अपनी मोहब्बत की दुकान को देवभूमि में ही लूटने से रोक नहीं पा रहे हैं कम से कम उत्तराखंड के बड़े कांग्रेसी नेता तो राहुल की दुकान को बचाने में नाकाम साबित हो रहे हैं बाकी अब थोड़ा इंतजार का उपचुनाव के नतीजो का है, फिलहाल कांग्रेस की जो सच्चाई थी हमने आपके सामने लाकर रख दी अगर आपको अच्छी लगी हो तो लाइक करें कमेंट करें और आगे शेयर भी करना ना भूले