December 21, 2025

जनता का भरोसा, सच्ची खबरों की मिसाल,’उत्तराखंड की सच्चाई’ मचा रहा है धमाल

राकिम खान की रिपोर्ट

2012 मे ‘उत्तराखंड की सच्चाई’ की रिपोर्टिंग ने भूचाल ला दिया था!

देहरादून/सितारगंज-साल था 2012,देश में डिजिटल न्यूज चैनल पत्रकारिता एक अधूरे सपने जैसा था।
लेकिन तभी,उत्तराखंड के एक छोटे से कोने से उठी एक बुलंद आवाज़, जिसने न सिर्फ़ सत्ता के गलियारों को हिला दिया, बल्कि डिजिटल मीडिया के मायने ही बदल दिए। नाम था: उत्तराखंड की सच्चाई’ डिजिटल न्यूज़ चैनल

लोग उस समय डिजिटल न्यूज चैनल की परिभाषा खोज रहे थे, तब उत्तराखंड की सच्चाई’ मैदान में कूदकर सच की मशाल थामे हुए दौड़ रहा था,और इसकी सबसे ज़िंदा मिसाल बना,सितारगंज उपचुनाव 2012 जहाँ विजय बहुगुणा ने भाजपा के कद्दावर नेता प्रकाश पंत को 40,000 वोटों से हारा दिया था

लेकिन रुकिए…
ये कहानी सिर्फ़ वोटों की नहीं थी।
ये थी राजनीतिक साम्राज्य को हिला देने वाली रिपोर्टिंग की!
वो रिपोर्टिंग जिसने हर बूथ से हर धड़कन तक को कवर किया,
हर चेहरे को पढ़ा, और सच्चाई को सामने लाकर रखा

जहाँ नेशनल मीडिया सिर्फ़ नतीजों की प्रतीक्षा में आंखें फाड़े बैठा था,
वहीं उत्तराखंड की सच्चाई’ डिजिटल न्यूज़ चैनल
गली-गली, गांव-गांव, वोटर से लेकर विजेता तक की कहानी को सीधे लोगों के मोबाइल में पहुंचा रहा था

“तस्वीरें नहीं, तफ़्सीरें थीं!”
बहुगुणा के विजयी हाथ,
जनता की गूंजती तालियाँ,
और ‘उत्तराखंड की सच्चाई’ का कैमरा —

ये जीत सिर्फ बहुगुणा की नहीं थी —
ये जीत थी उस पत्रकारिता की, जिसने ना बिकना सीखा, ना झुकना!