
आरिफ खान की रिपोर्ट
काशीपुर – थाना काशीपुर पुलिस को उस समय बड़ा झटका लगा जब अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सचिन कुमार** ने एक अहम फैसले में अभियुक्त राजवीर सिंह के 14 दिन के रिमांड की मांग को सिरे से खारिज कर दिया। न्यायालय ने अभियुक्त को अविलंब रिहा करने के आदेश जारी करते हुए पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए।
प्रकरण के अनुसार, थाना काशीपुर के एसआई जयप्रकाश ने आबकारी अधिनियम 60(2) के तहत एफआईआर संख्या 229/2025 में राजवीर सिंह को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया था। लेकिन कोर्ट ने रिमांड याचिका को खारिज कर पुलिस से स्पष्ट जवाब माँगा — आखिर गिरफ्तारी का आधार क्या था?
इस पूरे मामले में सबसे बड़ी भूमिका निभाई अधिवक्ता संजय रुहेला ने। उन्होंने दमदार पैरवी करते हुए न्यायालय को बताया कि पुलिस की तरफ से न तो गिरफ्तारी के ठोस कारण बताए गए और न ही भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 35(1)(ख) का अनुपालन किया गया।
न्यायालय ने अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए कहा कि गिरफ्तारी केवल अधिकार नहीं बल्कि न्यायिक जिम्मेदारी है। जब तक विधिक प्रक्रिया का पालन न हो, तब तक किसी भी नागरिक को हिरासत में नहीं रखा जा सकता।
अधिवक्ता संजय रुहेला की इस शानदार दलीलबाज़ी ने पुलिस की कमजोर विवेचना की पोल खोल दी और एक बार फिर यह साबित कर दिया कि कानून के दायरे में रहकर भी न्याय को मजबूत किया जा सकता है।
यह फैसला ना केवल काशीपुर न्यायपालिका की संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि अब बिना आधार की गिरफ्तारी पर कोर्ट सख्ती से कार्रवाई करेगा।
“न्याय की लड़ाई अदालत में लड़ी जाती है, न कि थाने में” — और इस लड़ाई के सच्चे योद्धा हैं हमारे सजग अधिवक्ता संजय रुहेला!

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