January 20, 2025

Uttarakhand Ki Sachchai

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इस चुनाव में भाजपा पर बेहद भारी पड़ने जा रही जनभावनाओं की अनदेखी और विकास कार्यों से दूरी

काशीपुर। चुनाव निकाय का और तैयारी लोकसभा और विधानसभा चुनाव जैसी, आखिर क्यों? स्पष्ट है कि जनभावनाओं की अनदेखी और विकास कार्यों से दूरी इस चुनाव में भाजपा पर बेहद भारी पड़ने जा रही है। काशीपुर निकाय, जिसमें बेहद सरल स्वभाव के लोग रहते हैं और वर्षों से विभिन्न चुनावों में पसंदीदा सरकार/उम्मीदवार को वोट करते आ रहे हैं, उन्हें इस चुनाव में सरकार और उसके उम्मीदवार का अलग ही रूप देखने को मिल रहा है। और तो और जनता इस बात से हैरान है कि निकाय चुनाव में एक मुख्यमंत्री का क्या रोल? विकास पुरुष पं. नारायण दत्त तिवारी की कर्मभूमि माने जाने वाले काशीपुर को आज महज निकाय चुनाव के लिए रणभूमि में तब्दील कर दिया गया। रण भी कैसा जिसमें विकास के मुद्दे कम और निजी स्वार्थ से परिपूर्ण मुद्दे ज्यादा उछाले जा रहे हैं। वह काशीपुर जिसने प्रतिष्ठित परिवारों के साथ ही राजशाही एवं अल्पसंख्यक समाज के व्यक्ति के हाथों में म्युनिसिपैलिटी चेयरमैन की बागडोर सौंपी।निर्धन परिवार के पं. रामदत्त जोशी जैसा विधायक दिया तो उद्योगपति हरभजन सिंह चीमा जैसा विधायक भी चुना। सरल स्वभावी केसी पंत और उनकी पत्नी इला पंत को सांसद चुना तो दिग्गजों को चुनाव हराया भी। वह काशीपुर जहां पैराशूट प्रत्याशियों को भी सम्मान दिया गया, आज मेयर के लिए मुख्यमंत्री को चुनाव प्रचार करते देख कतई खुश नजर नहीं आया। मुख्यमंत्री के रोड शो और जनसभा में लोगों को स्पष्ट कहते सुना गया कि नजदीकियां भारी पड़ सकती हैं। अब ये नजदीकियां किस पर भारी पड़ेंगी, चुनाव हारने के बाद भाजपा मेयर प्रत्याशी या फिर खुद मुख्यमंत्री, या फिर कांग्रेस का मेयर चुनने के बाद काशीपुर की जनता पर। फिलहाल, मुख्यमंत्री का रोड शो और जनसभा काशीपुर के राजनीतिक गलियारों में की सवाल छोड़ गई है। इन सवालों का जवाब आगामी 25 जनवरी को चुनाव परिणाम के बाद ही मिल पाएगा।