आरिफ खान की रिपोर्ट
जसपुर नगर पालिका चुनाव में बसपा प्रत्याशी वसीम सिद्दीकी के समर्थन में आज समाजसेवी मोहम्मद कैफ द्वारा आयोजित रोड शो ने राजनीतिक गलियारों में हलचल तो मचाई, लेकिन इसका कोई खास असर स्थानीय वोटरों पर दिखाई नहीं दिया। स्थानीय जनता का कहना है कि मोहम्मद कैफ की पहचान एक समाजसेवी के रूप में थी, और वह इसी छवि में बेहतर थे। राजनीति में आने के उनके फैसले से जनता में नकारात्मक संदेश जा रहा है।
बसपा पर उठे सवाल: भाजपा की ‘बी’ टीम?
विपक्षी पार्टियों ने बसपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि बसपा ने हमेशा भाजपा की “बी” टीम की तरह काम किया है और मुस्लिम वोटरों का ध्रुवीकरण करके भाजपा को फायदा पहुंचाया है। स्थानीय नेताओं का आरोप है कि बसपा ने बड़े मुद्दों पर हमेशा चुप्पी साधी, चाहे वह अल्पसंख्यकों के हितों की बात हो या अन्य सामाजिक समस्याओं की। यही वजह है कि देशभर में मुस्लिम वोटर मायावती और बसपा से खफा हो चुके हैं।
जसपुर का बदलता राजनीतिक समीकरण
जसपुर में जैसे-जैसे वोटिंग की तारीख नजदीक आ रही है, बसपा प्रत्याशी वसीम सिद्दीकी का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बसपा के रोड शो और प्रचार का जनता पर प्रभाव बेहद सीमित है। इसके विपरीत, मुस्लिम मतदाताओं का रुझान अब दूसरी पार्टियों की ओर मुड़ता दिख रहा है।
वोट कटवा राजनीति पर जनता का गुस्सा
चुनावी माहौल में जनता का गुस्सा साफ नजर आ रहा है। स्थानीय वोटरों का कहना है कि बसपा ने केवल वोट काटने की राजनीति की है, जिससे भाजपा को हमेशा फायदा हुआ है। जसपुर में भी यही रणनीति नजर आ रही है, लेकिन इस बार जनता का मूड अलग है।
क्या बसपा जसपुर में दम तोड़ रही है?
जसपुर की जनता का रुझान और बसपा प्रत्याशी की घटती लोकप्रियता यह सवाल खड़ा करती है कि क्या बसपा इस बार भी अपनी रणनीति में असफल साबित होगी? या फिर आखिरी समय में कोई चमत्कार होगा? यह तो वोटिंग के बाद ही स्पष्ट होगा।
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