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आरिफ खान की रिपोर्ट
काशीपुर में नगर निगम चुनावों की सरगर्मियां अपने चरम पर हैं। हर दल अपने-अपने पर्यवेक्षकों के माध्यम से दावेदारों से आवेदन मांगने में जुटा है, तो वहीं दावेदारों की कतारें भी लंबी होती जा रही हैं। लेकिन कांग्रेस खेमे से एक नाम ऐसा है, जो बाकी सभी को पीछे छोड़ता नजर आ रहा है—मुक्त सिंह।
मुक्त सिंह: सियासी पृष्ठभूमि और दमदार कद
मुक्त सिंह का नाम काशीपुर की कांग्रेस राजनीति में एक मजबूत स्तंभ की तरह उभरकर सामने आया है। राजनीति उनके खून में बसी है। उनके पिता स्वर्गीय चौधरी समरपाल सिंह न सिर्फ उत्तर प्रदेश में विधायक रहे, बल्कि तिवारी सरकार में सहकारिता मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल से मिसाल कायम की। उत्तराखंड में भी उन्होंने सहकारिता विभाग में दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री के रूप में अपनी छवि बनाई।
मुक्त सिंह का सियासी सफर
बीडीसी सदस्य के तौर पर शुरू हुआ। वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी मे सदस्य, प्रदेश सचिव और प्रवक्ता जैसी अहम भूमिकाओं में रह चुकी हैं। वे कांग्रेस के विभिन्न संगठनों में विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर सक्रिय रही है, शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उत्तराखंड रत्न से सम्मानित मुक्त सिंह तीन स्कूलों का सफल संचालन कर रही हैं और समाज सेवा में भी अपनी पहचान बना चुकी हैं।
विरोधियों के लिए बड़ी चुनौती
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पिछले नगर निगम चुनावों में मात्र 3200 वोटों से हारने वाली मुक्त सिंह को इस बार कांग्रेस का सबसे मजबूत चेहरा माना जा रहा है। हालांकि, पिछली हार के पीछे कई सवाल खड़े होते हैं। कांग्रेस संगठन के सूत्रों का मानना है कि मुक्त सिंह की हार भाजपा की “सुनियोजित रणनीति” का नतीजा थी। यही नहीं, चुनावों के बाद उन्हें जेल भी जाना करना पड़ा।
लेकिन अब, हालात बदल चुके हैं। कांग्रेस के प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व को मुक्त सिंह की ताकत और उनकी पिछली हार की सच्चाई पता है। यही वजह है कि इस बार उनका नाम सबसे ऊपर है।
चुनाव से पहले ही विरोधियों में खलबली
मुक्त सिंह की दावेदारी ने अन्य दावेदारों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। उनकी लोकप्रियता और कांग्रेस में सक्रियता के कारण दूसरे नेता खुद को कमजोर महसूस कर रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इस बार काशीपुर में कांग्रेस को एकजुट करने और भाजपा को कड़ी चुनौती देने के लिए मुक्त सिंह को टिकट दिया जाना तय है।
क्या इस बार भाजपा के गढ़ में सेंध लगाएंगी मुक्त सिंह?
पिछली हार के बावजूद मुक्त सिंह की सियासी पकड़ कमजोर नहीं हुई है। उनके समर्थक और पार्टी कार्यकर्ता इस बार उन्हें विजयी देखने के लिए तैयार हैं। सवाल यह है कि क्या भाजपा एक बार फिर उन्हें रोकने की साजिश रचेगी, या इस बार काशीपुर में कांग्रेस का झंडा लहराएगा?
सियासी गलियारों में यह चर्चा है कि अगर कांग्रेस ने मुक्त सिंह पर दांव खेला, तो काशीपुर की सियासत में एक नया अध्याय लिखा जाएगा।
काशीपुर में राजनीति का खेल रोचक मोड़ पर है। मुक्त सिंह की दावेदारी ने विरोधियों की चूलें हिला दी हैं। अब देखना यह है कि क्या कांग्रेस उन्हें टिकट देकर भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने का मौका देती है या किसी और रणनीति पर काम करती है।
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