January 18, 2025

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नसीम पहलवान: कुश्ती के जुनून में पैतृक जमीन कुर्बान कर बना डाली अखाड़े की नई पहचान

आरिफ खान की रिपोर्ट

दंगल के दिग्गज एडवोकेट नसीम पहलवान का परिवार बना कुश्ती का बादशाह

जहां लोग अपनी जमीन-जायदाद संजोने में लगे रहते हैं, वहीं एडवोकेट नसीम पहलवान ने अपनी पैतृक कृषि भूमि बेचकर कुश्ती को एक नई दिशा देने का साहसिक कदम उठाया। उनके दिल में बसी कुश्ती के प्रति दीवानगी और खेल को नई ऊंचाई देने का सपना ही उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित करता है।

माटी की महक और अखाड़े की धूल से अपनी पहचान बनाने वाले एडवोकेट नसीम पहलवान ने अपनी कड़ी मेहनत और जज्बे से ऐसा मुकाम हासिल किया है, जो हर किसी का सपना होता है। उनके पिता, नन्हे पहलवान, अपने समय के मशहूर पहलवानों में से एक थे और अब यह विरासत नसीम पहलवान और उनके बेटे अब्दुल कबीर तक पहुंच चुकी है।

नसीम पहलवान ने देश के अलग-अलग कोनों में आयोजित दंगलों में बड़े-बड़े पहलवानों को धूल चटाई है। उनकी कुश्ती का हुनर और ताकत ने उन्हें अखाड़े में एक अलग ही पहचान दी है। उनकी जीत के किस्से आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं।

अब उनके बेटे अब्दुल कबीर ने अखाड़े में अपने जलवे बिखेरने शुरू कर दिए हैं। युवा और जोश से भरे अब्दुल कबीर कुश्ती की दुनिया में अपना नाम चमकाने की ओर अग्रसर हैं। उनकी ताकत और दांव-पेंच देखकर ऐसा लगता है कि वह अपने पिता और दादा की विरासत को और ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।

नसीम पहलवान ने अपने खर्चे से न केवल अखाड़े के लिए गद्दे और सुविधाएं मुहैया कराई, बल्कि एक भव्य कुश्ती हॉल का निर्माण भी करवाया। उनकी इस पहल से न सिर्फ उनके इलाके के युवा पहलवानों को एक बेहतर मंच मिला, बल्कि कुश्ती को एक नई जान भी मिली। नसीम पहलवान का मानना है कि “कुश्ती केवल एक खेल नहीं, बल्कि हमारी परंपरा और आत्मा है।”

हालांकि, यह राह आसान नहीं थी। गद्दे और कुश्ती हॉल के निर्माण में पैसे की भारी कमी आई, लेकिन नसीम पहलवान ने हार नहीं मानी। अपने परिवार की कृषि भूमि तक बेचकर उन्होंने इस सपने को साकार किया। उनके इस बलिदान ने साबित कर दिया कि अगर दिल में जुनून हो, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती।

उनके बेटे अब्दुल कबीर भी इस सपने को आगे बढ़ा रहे हैं। अखाड़े में अपनी ताकत और दांव-पेंच से जलवा बिखेरते हुए, अब्दुल कबीर अपने पिता के इस त्याग और समर्पण को सार्थक करने में लगे हुए हैं।

नसीम पहलवान की यह कहानी न केवल कुश्ती प्रेमियों के लिए प्रेरणा है, बल्कि यह दिखाती है कि खेल और परंपरा के लिए किए गए बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाते। उनके इस साहसिक कदम ने कुश्ती को नए आयाम दिए हैं और आने वाले युवा पहलवानों के लिए रास्ते खोले हैं।
“जिस मिट्टी पर कुश्ती का इतिहास लिखा गया, उसे बचाने के लिए नसीम पहलवान ने अपनी जड़ों को त्याग दिया।”