
काशीपुर(आरिफ खान की रिपोर्ट)उत्तराखंड में हाशिये पर पहुंची थकी-हारी समाजवादी पार्टी; राज्य बनने से लेकर अब तक सिर्फ 2004 में जीती थी एक सीट, उत्तराखंड में लगातार हार के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) ने मैदान छोड़ दिया है। इससे पहले और इसके बाद किसी सीट पर नहीं जीती, नए राज्य बनने के बाद,उत्तराखंड में सपा की जड़ें मजबूत होने की उम्मीद थी। अविभाजित उत्तर प्रदेश में सपा मजबूत स्थिति में थी। राज्य बनने से पहले इस क्षेत्र से सपा के टिकट पर कई नेता विधायक बने थे। इनमें मुन्ना सिंह चौहान, मंत्री प्रसाद नैथानी, अंबरीष कुमार और बर्फियालाल जुवांठा जैसे बड़े नाम शामिल थे
समाजवादी पार्टी द्वारा यूपी मे लोकसभा चुनावों मे बड़ी जीत हासिल करने पर उत्तराखंड में जीत का जश्न मना रही है लेकिन उत्तराखंड में समाजवादी पार्टी का कोई वजूद नहीं दिखाई दे रहा है अगर बात की जाए उत्तराखंड समाजवादी पार्टी की तो संगठन के नाम पर शून्य है, प्रदेश के 13 जिलों में संगठन की कार्यकारिणी भी नहीं बनी है, भले ही आज काशीपुर में समाजवादी पार्टी सभा को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष शंभू प्रसाद पोखरियाल बड़े-बड़े बयान क्यों ना दे रहे हो लेकिन धरातल पर वह बयान हवा हवाई साबित होते हुए दिखाई दे रहे हैं
समाजवादी पार्टी का उत्तराखंड में कोई वजूद नहीं है

तो वही दबी जुबान में सपा कार्यकर्ता कह रहे थे कि जब से उत्तराखंड में समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शंभू पोखरियाल बने हैं,,पार्टी की लुटिया डूब गई है प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में संगठन में कोई भी कार्यकर्ता जुड़ने को तैयार नहीं है, जिसका जीता जागता सबूत है कि उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में से एक भी लोकसभा सीट पर संगठन की मजबूती ना होने की वजह से समाजवादी पार्टी गठबंधन से एक भी सीट झटक नहीं पाई,जबकि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी संगठन मजबूत होने की वजह से 37 सीटों पर सपा ने विजय का परचम लहराया
मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखने वाली सपा आने वाले निकाय चुनाव को लेकर, जो देख रही है चारों खाने चित गिर जाएगी, मुंगेरीलाल के हसीन सपने चकनाचूर हो जाएंगे, एक कहावत आपने और सुनी होगी, बिल्ली को हमेशा ख्वाब में छिछड़े नजर आते हैं,,यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि वक्त रहते हुए समाजवादी पार्टी संगठन को मजबूत कर पाती है या सपा और हाशिये पर चली जाएगी

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