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(उधम सिंह नगर से आरिफ खान की खास रिपोर्ट)जो कभी समाज की बुराइयां खत्म करने और हकीकत सामने लाने वाला लोकतन्त्र का चौथा स्तंभ माना जाता था पत्रकारिता इन दोनों सिर्फ अपने धंधों की आड़ बन चुकी है।जनपद उधम सिंह नगर में तो पत्रकार कहलाने वाले अनेकों मिल जाएंगे कोई रिक्शा चलाएगा तो वह भी अपने आप को पत्रकार कहेगा, तो कोई खनन की गाड़ी चलाएगा तो वह भी अपने आप को पत्रकार बतायेगा तो कोई पिंचर की दुकान चलाएगा तो वह भी अपने आप को पत्रकार बतायेगा तो कोई सरकारी विभागों से विज्ञापन इकट्ठा करेगा तो वह भी अपने आप को पत्रकार बतायेगा, तो कोई अधिकारियों की फील्डिंग करेगा तो वह भी अपने आप को पत्रकार बतायेगा,पत्रकार बनने के लिए ना तो कोई क्राइटेरिया है ना ही सरकार की कोई गाइडलाइन है,अपना यूट्यूब चैनल बनाकर उसको न्यूज़ चैनल का डिजाइन देकर कुछ लोग अधिकारीयो के पास बैठकर अपने आप को पत्रकार बताते हैं,और अधिकारों को घुमरहा कर के अपने अवैध धंधों पर नजरअंदाजी के लिए बोलते है। और दुर्भाग्य की बात है कि अधिकारी उनकी बातों में फंस भी जाते हैं अधिकारीयो को इतना ज्ञान नहीं होता कि कौन सा यूट्यूब चैनल है और कौन सा न्यूज़ चैनल है, इतने काबिल अधिकारी सरकारी दफ्तरों में बैठे हैं। जिम्मेदार अधिकारियों को इतनी समझ नहीं होती है कोई उनके साथ छल कपट कैसे कर रहा है,अगर कोई अपने आप को पत्रकार कहता है तो अधिकारी सूचना विभाग से उसका नाम पता कर ले कि वास्तव में वह पत्रकार है या नहीं जिस चैनल से अपने आप को बता रहा है वह न्यूज़ चैनल है या नहीं,,उधम सिंह नगर में अधिकारियों को पत्रकारों की सूची निकाल कर लोगों को भी जागरूक करना चाहिए,क्योंकि पत्रकारिता के नाम पर खूब अवैध धंधे चल रहे है,कोई रॉयल्टी चोरी कर रहा है तो कोई इकम टैक्स चोरी कर रहा है,ऐसे ही लोग जनता में सच्चे पत्रकारों की छवि को धूमिल कर रहे है।
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आज हद तो यह है कि अपने कारोबार को संरक्षण देने के लिए पत्रकारिता में प्रवेश कर रहे हैं जिससे भ्रष्टाचार, अन्याय, अत्याचार को बढ़ावा मिल रहा है और हमारा लोकतंत्र दिन-प्रतिदिन खोखला हो रहा है जो आज नहीं तो कल हमारे लिए घातक सिद्ध होगा। पत्रकारिता समाज का आईना होती है जो समाज की अच्छाई व बुराई को समाज के सामने लाती है अब यदि पत्रकार और बुराई के बीच में सेटिंग हो जाती है तो न अच्छाई समाज के सामने आयेगी और न ही बुराई। और ऐसे लोग अच्छे पत्रकारों की खबरों को कॉपी कर अगले दिन उन खबरों को अपने यूट्यूब चैनलों पर चलते हैं और अपने न्यूज़ पोर्टलो पर कॉपी करके खबरों को लगा लेते हैं चुरा लेते हैं इन लोगों के पास खबर बनाने का आइडिया भी नहीं होता है, खबरों को लेकर इनकी सोच नहीं होती है, किस मुद्दे पर खबर बनाई जाए, केवल और केवल कॉपी पेस्ट ही इन लोगों का सहारा बन जाता है और अगले दिन उन्ही खबरों को लेकर अधिकारियों के पास पहुंच जाते हैं सर कल आपकी एक खबर चली थी उसी खबर पर हमें भी इंटरव्यू दे दो, क्योंकि इनके पास नया कुछ नहीं होता केवल और केवल कॉपी पेस्ट तक इनकी पत्रकारिता सीमित है अधिकारियों की चापलूसी कर अपने अवैध धन्धो को बढ़ाते हैं
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