November 23, 2024

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Mahatma Gandhi और Lal Bahadur Shastri की जयंती आज, दोनों ने ऐसे छोड़ी जनमानस पर छाप,काशीपुर कांग्रेस जनों ने मनाई राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती

काशीपुर।आज (2 अक्टूबर) राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की 153वीं जयंती है. साथ ही देश भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) की 154 वीं जयंती भी मना रहा है. दोनों महान हस्तियों ने अपने कार्यों और विचारों से देश और दुनियाभर के जनमानस पर अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है
,काशीपुर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 154 वी जयंती तथा पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 119वी जयंती पर महानगर कांग्रेस कमेटी के जिला अध्यक्ष मुर्शरफ हुसैन के नेतृत्व में कांग्रेसी कार्यकर्ता ने द्रोणा सागर रोड स्थित नव चेतना भवन में एकत्रित हुए जहां पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी
उन्हें नमन करते हुए उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया।कांग्रेस जिला अध्यक्ष मुर्शरफ हुसैन अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनके द्वारा किए गए कार्य आज भी उनकी याद दिलाते हैं उन्होंने कहा कि कार्य समाज सेवा भाव से उनके द्वारा किए गए थे वह आज तक किसी के द्वारा भी नहीं किए गए तभी आज तक देश के लोग उन्हें याद कर आज भी भावुक हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि आज देश में महंगाई चरम सीमा पर है
अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने में महात्मा गांधी की ओर से चलाए गए सत्याग्रह जन आंदोलनों की बड़ी भूमिका बताई जाती है. वहीं, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में लाल बहादुर शास्त्री का भी महत्वपूर्ण योगदान है. महात्मा गांधी हमेशा लोगों को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की सीख देते थे और लाल बहादुर शास्त्री की छवि भी सबसे ईमानदार नेता की है.

महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर को उनकी स्मृति में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 जून 2007 को 2 अक्टूबर की तारीख को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया था.

महात्मा गांधी का जन्म और परिवार की पृष्ठभूमि

2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में एक मोढ़ वैश्य परिवार में महात्मा गांधी का जन्म हुआ था. उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था. ब्रिटिश शासन के दौरान उनके पिता करमचंद पोरबंदर स्टेट के दीवान थे और मां पुतलीबाई एक ग्रहणी थीं. दादा ओता गांधी ने दो विवाह किए थे और पिता करमचंद गांधी ने चार शादियां की थीं. एक बहन और तीन भाइयों में मोहनदास सबसे छोटे थे. महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ में अपने परिवार का परिचय दिया है. जिसमें बताया गया है कि उनका परिवार पहले पंसारी का व्यवसाय करता था.

दादा से लेकर पिछली तीन पीढ़ियां दीवानगीरी करती रहीं. राजनीतिक समस्या के कारण परिवार को पोरबंदर छोड़कर तत्कालीन जूनागढ़ राज्य में आना पड़ा था. महात्मा गांधी के पिता करमचंद गांधी ने पोरबंदर की दीवानगीरी छोड़ने के बाद राजस्थान कोर्ट में काम किया था. बाद में उन्होंने राजकोट और वांकानेर में दीवान का काम किया था. जीवन के अंतिम दिनों में उन्हें राजकोट दरबार से पेंशन मिलती थी.

बचपन में हो गई थी शादी

मोहनदास जब महज 13 साल के थे तब 14 वर्षीय कस्तूरबा गांधी से उनकी शादी करा दी गई थी. उनकी शादी के साथ ही परिवार के कुछ और भाईयों और बहनों के भी विवाह संपन्न हुए थे. महात्मा गांधी के चार बेटे हरिलाल, मनीलाल, रामदास और देवदास थे.

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय (अब दीनदयाल उपाध्याय नगर) में एक कायस्थ परिवार में हुआ था. उनके पिता शारदा प्रसाद शिक्षक थे लेकिन उन्हें मुंशीजी कहा जाता था. बाद में राजस्व विभाग में उन्होंने लिपिक का काम भी किया था. मां रामदुलारी ग्रहणी थीं. शास्त्री जी को परिवार में सब प्यार से नन्हें कहकर बुलाते थे.

शास्त्री जब डेढ़ साल के थे तब उनके पिता निधन हो गया था. परिवार संकट में घिर गया था. मां रादुलारी ने अपने पिता यानी शास्त्री के नाना हजारीलाल के घर जाने का फैसला किया. ननिहाल मिर्जापुर में शास्त्री की बचपन की पढ़ाई हुई. बाद में वह हरिश्चचंद्र हाई स्कूल और काशी विद्यापीठ में पढ़े. शास्त्री की उपाधी मिलने के बाद उन्होंने अपना सरनेम श्रीवास्तव हटा दिया था. 1928 में शास्त्री की शादी मिर्जापुर की रहने वाली ललिता से हुई. उनकी छह संतानें हुईं, दो बेटियां और चार बेटे. लाल बहादुर शास्त्री के चार बेटों में से अनिल शास्त्री कांग्रेस नेता हैं और सुनील शास्त्री बीजेपी नेता हैं.

हमेशा प्रेरणा देता रहेगा दोनों का जीवन

महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के के कार्यों और विचारों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम और बाद में स्वतंत्र देश को आकार देने में बड़ी भूमिका निभाई. महात्मा गांधी ने सादा जीवन उच्चर विचार का उपदेश दिया तो वहीं, लाल बहादुर शास्त्री सादगी और विनम्रता के पर्याय माने जाते हैं. लाल बहादुर शास्त्री ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था.

कार्यक्रम में महानगर कांग्रेस जिला अध्यक्ष मुशर्रफ हुसैन मनोज जोशी एडवोकेट विमल गुड़िया, किसान नेता सुरेश शर्मा जंगी, संदीप सहगल पूर्व महानगर कांग्रेस अध्यक्ष राशिद फारुकी त्रिलोक अधिकारी इंदू मान महेंद्र बेदी मोहम्मद आरिफ सैफी अफसर अली जफर मुन्ना अब्दुल कादिर सरदार इंदर सिंह एडवोकेट विकल्प गुड़िया पार्षद शाह आलम मोहम्मद मियां भारती मोहम्मद शहजाद अंसारी मोहम्मद हनीफ गुड्डू इरशाद गुड्डू शफीक अंसारी रोशनी बेगम मोहम्मद नजमी पार्षद नितिन कौशिक अरुण चौहान योगेश जोशी अनिल शर्मा इरशाद सैफी पार्षद आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे