असली देश प्रेम इसे कहते हैं…
मुदकमे के दौरान जज “शहीद उमर मुख्तार” से पूछता है,
जज : क्या तुम मानते हो कि तुमने बग़ावत की है
उमर मुख्तार : हाँ
जज __ क्या तुम जानते हो इसकी सज़ा क्या होगी ????
उमर मुख्तार : हाँ
जज : तो फिर अफ़सोस के साथ तुम्हारा अंजाम मौत है
उमर मुख्तार : मूझे कोई अफ़सोस नहीं यही मेरी जिंदगी का बेहतरीन अंजाम होगा,
जज इन्तहाई मसलहत और मौत का खौफ दिलाकर लालच देकर उमर मुख्तार को कहता है, कि अगर तुम अपनी क्रांती को रोक दो और क्रांतिकारीयो को कहो की वह आजादी की जंग छोड़ दें तो तुम्हें छोड़ दिया जायेगा…
उमर मुख्तार जज को एक लम्हे के लिए देखते है, और फिर अपना तारीखी क़ौल कहेते है, हम या तो शानदार फतह हासिल करेंगे या फिर वतन के लिए अल्लाह की राह में शहीद होंगे…
और यही हमारी ज़िन्दगी का असल मक़सद है, तुम लोग नस्ल दर नस्ल हमे खत्म करने की कोशिश करते रहो।
तुम्हारी हर नस्ल को मुख्तार मिलते रहेंगे।
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